Wednesday 23 October 2013

बचपन

बचपन के वो पल कल बन चुके हे.... 
पलकों पर लगे सपने पक चुके हे.. !
पर हर रात मुझको आती हे बचपन याद तेरी.. 
साथ ले गया तू ज़िन्दगी की सबसे सच्ची खुशियाँ मेरी!! :/

शाम को दोस्तों के साथ अड्डे पर जाना... 
फिर अपनी अपनी बात के लिए मनाना..!
थक हार कर पूछना बताओ कौनसा खेलें खेल..
क्रिकेट , फुटबॉल, छुप्पा-छुप्पी या गुलेल..! :D 

वह सुबह आँखें मलते हुए उठना....
२ मिनट का बहाना बना फिर सो जाना..!

काश कहीं, कुछ देर के लिए मिल जाए वोह गुज़रा बचपन....
बदले में ले जाए ये मेरा लड़कपन..!
इसी बहाने फिर बनाऊंगा स्कूल ना जाने के बहाने हज़ार..
पर ज्यादा देर रुक ना पाऊंगा खींच ही लेगा मुझे वोह दोस्तों का प्यार..! <3 

माना मेरा लड़कपन खूब निराला है... 
पर बचपन का वोह रंग ही कुछ प्यारा है..!
रिमझिम बारिश में मस्ती में झूमना..
पापा के कन्धों पर चढ़ मेला घूमना..!
चोट लग जाने पर माँ का माथा चूमना..
और फिर खाना खिलाने के लिए घर में ढूँढना..! :P

तितलियाँ और पकड़ कर हम यूँ इतराते..
आंटी की छड़ी से बचने के लिए पेड़ों पर झट चढ़ जाते ..!
कागज़ के जहाज बना कर कुछ  यूँ उड़ाते..
उसको उड़ता देख पल भर में होमवर्क की टेंशन भूल जाते..! B|

वो बंक करके गेम्स का पीरियड और दोस्तों का साथ...
किसने सोचा था, कल आएँगे ये पल याद....!!
टीचर के कमरे का शीशा तोडना बार बार..
फिर चिल्लाना "अब तो बॉल तू ही लाएगा सरदार"..! >:O

वो छोट्टी सी रातें और पापा की कहानी..
दिन में पापा के किस्से, दादी की ज़ुबानी..! :D 
वो खेल कर आना, और घर आकर चिल्लाना "पानी "..
अपनी मर्ज़ी के मालिक, ओर वो प्यारी, भोली नादान मनमानी....!!

बचपन के ये पल ज़िन्दगी भर याद आएँगे..
ना जाने क्यूँ, दिल कहता है, हर बार आँखें नम कर जाएंगे....!!
फिर खुद पर ही हसकर हम यूँ मुस्कुराएँगे....
मानो ये बचपन के दिन फिर लौट आएँगे....!! ;) :*




memories of childhood









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